हुज़ूर की प्यारी सुन्नतें

जिस ने मेरी सुन्नत से मोहब्बत की उस ने मुझ से मोहब्बत की और जिस ने मुझ से मोहब्बत की वह जन्नत मे मेरे साथ होगा । [इब्न असाकिर: 3/145]
1. सलाम करना । [बुखारी: 94]
2. अपना काम ख़ुद करना । [इब्न हब्बान: 5675]
3. ज़मीन पर बैठ कर खाना । [मुस्लिम: 2044]
4. बुराई का बदला बुराई से न देना । [तिर्मिज़ी: 216]
5. माफ़ करना । [तिर्मिज़ी: 216]
6. नर्मी से बात करना । [मुस्लिम: 2591]
7. अल्लाह की राह मे ख़र्च करना । [बुखारी: 4997]
8. तोहफ़े के बदले मे तोहफ़ा देना । [बुखारी: 2585]
9. ख़ुशी मिलने पर सजदा ए शुक्र अदा करना । [अबु दाऊद: 2774]
10. जुता सिधी तरफ़ से पहेनना । [तिर्मिज़ी: 608]
11. कंगी सिधी तरफ़ से करना । [तिर्मिज़ी: 608]
12. सर मे तेल लगाना । [मुस्लिम: 2344]
13. इमामा बांधना । [मुस्लिम: 1359]
14. तीन उंगलीयों से खाना । [मुस्लिम: 2023]
15. खाने बाद उंगलीयां चाटना । [मुस्लिम: 2023]
16. खजूर खाना । [मुस्लिम: 2044]
17. कद्दू [लौकी] खाना । [तिर्मिज़ी: 1850]
18. ककड़ी के साथ खजूर खाना । [मुस्लिम: 2043]
19. ख़रबुज़े के साथ खजूर खाना । [अहमद: 13449]
20. खड़े हो कर ज़मज़म पिना । [तिर्मिज़ी: 1882]
21. तीन सांसों मे पानी पिना । [तिर्मिज़ी: 1884]
22. ख़ुशबू लगाना । [अबु दाऊद: 4162]
23. मुस्कूराना । [तिर्मिज़ी: 3642]
24. दावत क़ुबूल करना । [ तिर्मिज़ी: 1215]
25. औरतों से मुसाफ़ा न करना । [नसाइ: 4195]
26. टेक लगा कर न खाना । [बुखारी: 5298]
27. मिठी चिज़ और शहेद खाना । [मुस्लिम: 1474]
28. जुमेरात को सफ़र करना । [बुखारी: 2950]
29. छोटे बच्चों के सर पर मोहब्बत से हाथ फेरना । [अबु याला: 1457]
30. निकाह करना । [इब्न माजह: 1846]
31. खाने से पहले हाथ धोना । [नसाइ: 256]
32. खाने मे ऐब न निकालना । [बुखारी: 5409]
33. वज़ू से पहले बिस्मिल्लाह कहना । [नसाइ: 78]
34. कपड़ा सिधी तरफ़ से पहेनना । [अबु दाऊद: 3488]
35. छिंक आने पर अल्हम्दुलिल्लाह कहना । [अहमद: 1/204]
36. किसी के घर मे दाख़िल होने से पहले इजाज़त लेना । [अबु दाऊद: 5186]
37. बच्चों और घर वालों पर रहेम करना । [मुस्लिम: 2316]
38. बच्चों को सलाम करना । [इब्न अबी शैबा: 8/445]
39. सर के बालों के बीच से मांग निकालना । [अबु दाऊद: 4189]
40. कंगी करना । [मुस्लिम: 297]
मगर याद रखें: रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने रोज़ाना कंगी करने से मना फ़रमाया है । [नसाइ: 5057]
जिस ने मेरी अताअत की [कहना माना] वह जन्नत मे दाख़िल होगा । [बुखारी: 7280]
ऐ अल्लाह! तेरे प्यारे हबीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा ।

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