यज़ीद
“रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु”
“अमीरुल मोमिनीन” कहने का आदेश ?
Question: क्या फरमाते हैं धर्म के
विद्वानों इस बारे में के यज़ीद को रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु और अमीरुल मोमिनीन
कहना कहाँ तक श्रेष्ठ है। कहने वाला और कथन के बारे में
शरई़ आदेश क्या है?
Answer: हज़रत नबी अकरम सल्लल्लाहु
तआ़ला अलैहि वसल्लम ने क़यामत तक घटित होने वाले सम्पूर्ण फितनों की विस्तार वर्णन
किए। पूर्ण हज़रत नबी अकरम
सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने यज़ीद के फितनों से भी समुदाय को सचेत किया इस
सिलसिले में एक से अधिक हदीसें आधार हैं।
कुछ रिवायतों में इशारे से वर्णन हैं और कुछ में स्पष्ट रूप से समुदाय में सब से प्रथम फसाद फैलाने वाला, सुन्नतों को व्यर्थ करने वाला, धर्म में अंतर ड़ालने वाले , बनी उमैया का एक यज़ीद नामी व्यक्ति होगा। तीसरे सदी हिज्री के माननीय मुहद्दिस इमाम अबु यअ़ला रहमतुल्लाहि अलैह (जन्मः 211, देहान्तः 307 हिज्री) ने अपनी मुसनद में सनद के साथ हदीस पाक रिवायत की है।
भाषांतरः- हज़रत सैयदना अबु उबैदह बिन जुर्राह रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु से वर्णित है हज़रत रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने आदेश फरमायाः मेरी उम्मत का मामला न्याय के साथ स्थापित रहेगा यहाँ तक के सब से प्रथम इस में अंतर ड़ालने वाला बनी उ़मैयह का एक व्यक्ति होगा जिस को यज़ीद कहा जाएगा।
(मुसनद अबु यअ़ला, मुसनद अबु उ़बैदह रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु)
अधिक नामवर व्याख्याता व अनुवादक अबु अल फिदा इसमाइ़ल बिन उम़र, नामवर इब्न कसीर (जन्मः 700 हिज्री, देहान्तः 774 हिज्री) ने अपनी पुस्तक अ हिदायह वन निहायह, जिल्द 6, पः 256 में इस हदीस पाक को व्याख्या किया है।
इस हदीस को मुहद्दिस कबीर इमाम शहाब उद्दीन अहमद बिन हज्र मक्की हैतमी रहमतुल्लाहि अलैह ने भी अल सवाअ़ख अल महरखह पः 132 में व्याख्या किया है। आप ने इस सिलसिले में अधिक एक रिवायत अल सवा अ़ख महरखह पः 132 में वर्णन किया है।
भाषांतरः- हज़रत सैयदना अबु अल दरदा रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु से वर्णित है इन्हों ने फरमाया मैं ने हज़रत नबी अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुनाः सब से प्रथम जो मेरी सुन्नत को बदलेगा बनु उमैयह का एक व्यक्ति होगा जिस को यज़ीद कहा जाएगा। इस हदीस पाक को अल्लामा इब्न कसीर ने भी हज़रत अबु ज़र ग़िफारी रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु की रिवायत से व्याख्या किया।
सहीह बुखारी जिल्द 2, पः 1046 में हदीस पाक हैः-
भाषांतरः- उ़मरा बिन यही बिन सई़द बिन उ़मरा बिन सई़द अपने दादा उ़मरा बिन सई़द रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु से वर्णित करते हैं इन्हों ने फरमायाः मैं ने मदीने में हज़रत नबी अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम की मसजिद शरीफ में हज़रत अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु के साथ बैठा हुआ था तथा मरवान भी हमारे साथ था। हज़रत अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने फरमायाः मैं ने हज़रत सादिख मसदूख सरकार पाक सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम को आदेश फरमाते हुए सुनाः मेरी उम्मत की हलाकत खुरैश के चंद लड़कों के हाथों से होगी मरवान ने का अल्लाह तआ़ला ऐसे लड़को पर लान करे। हज़रत अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने फरमायाः यदि मैं कहना चाहुँ के वह बनी फलां और बनी फलां हैं तो कह सकता हूँ। हज़रत उमरा बिन यही कहते हैं मैं अपने दादा के साथ बनी मरवान के पास गया जब के वह सीरिया देश के राज्यपाल थे पस इन्हीं कम उमर लडके पाय तो हम से फरमायाः शीघ्र ये लडके इन ही में से होंगे। हम ने कहाः आप उचित जानते हैं।
शारह बुखारी फत्हुल बारी हाफिज़ अहमद बिन हजर असखलानी रहमतुल्लाहि अलैह (जन्मः 773, देहान्तः 852 हिज्री) वर्णन हदीस पाक की शरह में मुसन्नफ इब्न अबी शैबा के हवाले से हज़रत अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु की एक रिवायत व्याख्या करते हुए लिखते हैः-
भाषांतरः- मुसन्नफ इब्न अबी शैबा की रिवायत में है के सैयदना अबु हुरैरह रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु बाज़ार में चते हुए भीये दुआ़ करतेः अए अल्लाह! सुन 60 हिज्री और लडकों की प्रशासन व संचालन मुझ तक ना पहुंचे।
इस रिवायत में इस बात की ओर इशारा है के प्रथम लड़का जो राज्यपाल बनेगा वह 60 हिज्री में होगा अर्थात ऐसा ही हुआ के यज़ीद बिन मआ़विया इसी वर्ष संचालन के आसन पर स्थापित हुआ और 64 हिज्री तक रह कर हलाक हुआ।
शहीदों के सरदार इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु की शहादत के घटना, जांकाह के कारण से मदीने वाले यज़ीद के कठिन विरोधी होगए और सहाबी इब्न सहाबी हज़रत अबदुल्लाह बिन हंज़ला रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु के मुबारक हाथ पर बैअ़त कर लिए तो कुटील यज़ीद ने एक सेना महीने पर चढाई के लिए रवाना की जिस ने मदीने वालों पर आक्रमण किया और इस के सम्मान व आदर व मर्यादा को चोट पहुंचाया इस अवसर पर हज़रत अबदुल्लाह बिन हंज़ला रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने मदीने वालों सो रूह परूर खिताब किया और इस में यज़ीद के आदतों व व्यवहार जो इसलाम के विरुद्ध थे उनका वर्णन किया जैसा के समय के मुहद्दिस मुहम्मद बिन सअ़द रहमतुल्लाहि अलैह (जन्मः 168, देहान्तः 230 हिज्री) की तबखात कुबरा जिल्द 5, पः 66 में इस की विस्तार उपलब्ध है।
हज़रत अबदुल्लाह बिन हंज़ला रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने मदीने वालों से अंत सांस तक सामना करने की बैअ़त ली और फरमायाः अए मेरी क़ौम! अल्लाह तआ़ला से ड़रो जिस का कोई शरीक नहीं, अल्लाह का वचन! हम यज़ीद के विरुद्ध इस समय आड़ खड़े हुए जबके हमें खौफ हुआ के कहीं हम पर आकाश से पथरों की वर्षा ना हो जाए।
वह ऐसा व्यक्ति है जो मांओं, बेटियों और बहनों से विवाह जाइज़ घोषित किया है। शराब पीता है, नमाज़ छोड़ देता है, अल्लाह का वचन! यदि लोगों में से कोई मेरे साथ ना हो तब भी मैं अल्लाह के लिए इस मामले में वीरता व साहस के भूषण दिखाउँगा।
अल्लामा इब्न असीर (जन्मः 555 हिज्री, देहान्तः 630 हिज्री) के तारीख सम्पूर्ण 51 हिज्री के वर्णन में है।
हज़रत हसन बसरी रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु यज़ीद के बारे में फरमाते हैं वह अत्यन्त नशेबाज़ (मद्यसारी), शराब पीने का आदी था, रेशम पहनता और तंबूरे बजाता।
अल्लामा इब्न कसीर (जन्मः 700, देहान्तः 774 हिज्री) ने अल हिदायह वन निहायह, जिल्द 6, पः 262 में लिखा हैः-
भाषांतरः- हरह की घटना का कारण यह हुआ के मदीने वालों का वफद डमास्कस में यज़ीद के पास गया। जब वफद वापस हुआ तो इस ने अपने घर वालों से यज़ीद की शराब नोशी और अन्य बुरी आदतों और दुष्ट गुण का वर्णन किया जिन में सब से दुष्ट आदत ये है के वह नशा के कारण से नमाज़ को चोड देता था। इस कारण से मदीने वाले यज़ीद की बैअ़त तोड़ने पर संगठित हो गए और इन्हों ने मिम्बर नबवी अ़ला साहिबी सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम के पास यज़ीद के पालन ना करने की घोषणा की। जब ये बात यज़ीद को मालूम हुई तो इस ने मदीने की ओर एक सेना रवाना किया जिस का मुखिया एक व्यक्ति था जिस को मुसलिम बिन उखबा कहा जाता है सलफ सालेहीन ने इस को मुलर्रिफइब्न उखबा कहा है जब वह मदीने में प्रवेश हुआ तो सेना के लिए 3 दिन तक मदीने वालों के जान व माल सब कुछ मुबाह घोषित किया। अर्थात इस ने इन 3 दिन को दौरान सैंकड़ों लोगों को शहीद करवाया।
इमाम बैहखी (जन्मः 384, देहान्तः 458 हिज्री) की दलाइ़ल नबूवह में रिवायत हैः-
भाषांतरः- हज़रत मुग़ैरह रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु से वर्णित है फरमाते हैं मुसर्रिफ बिन उखबा ने मदीने में 3दिन तक लूटमार की और एक 1000 इज्जतदार बिन ब्याही और शालीन इसलाम के बेटियों का बलात्कार किया। अल्लाह हमें इस से सुरक्षित रखे।
जबके मदीने वालों को ड़राने के लिए हदीस में कठिन चेतावनी आई है मुसनद अहमद, मुसनद अल मदनैयिन में हदीस पाक हैः-
भाषांतरः- हज़रत सैयदना साईब बिन खुलादर रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु से वर्णित है के हज़रत रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने आदेश फरमाया जिस ने मदीने वालों को अत्याचार करते हुए ड़राया अल्लाह तआ़ला इस को भयभीत करेगा और इस पर अल्लाह की, फरिश्तों की और सम्पूर्ण लोगों की लानत है। अल्लाह तआ़ला इस से क़यामत के दिन कोई फर्ज़ या नफ्ल कर्म स्वीकार नहीं करेगा।
(हदीस संख्याः 15962) इस से अंदाज़ा जा सकता है इस व्यक्ति का क्या परिणाम होगा जो मदीने वालों को केवल भयभीत हिरासां ही नहीं किया बल्कि मदने में हत्या व --- किया और सारी सेना के लिए दरिंदगी कर्म की आज्ञा देदी।
फन अखीदह में पड़ाई जाने वाली दर्से-निज़ामी की नामवर पुस्तक शरह अकीदे नसफी, प 117 में अल्लामा सअ़द उद्दीन तफताज़ानी रहमतुल्लाहि अलैह ने लिखा हैः-
भाषांतरः- कुछ इमाम ने इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु को शहीद करने का आदेश देने के कारण से कुफ्र के अपराधी घोषित देकर याज़ीद पर लानत को जाइज़ रखा है। समुदाय के विद्वान इस व्यक्ति पर लानत करने के संयोग से खाइल हैं जिस ने इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु को शहीद किया या शहीद करने का आदेश दिया या इसे जाइज़ समझा और इस पर खुश हुआ।
सत्य ये है के इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु की शहादत पर यज़ीद का सन्तुष्ट होना इस से खुश होना और अहले बैत किराम की तौहीन करना इन रिवायत से साबित है जो अर्थ के रूप से मुतवातिर के स्तर में हैं अगरचे इसका विस्तार प्रथम सूचना से साबित है।
अर्थात हम यज़ीद के बारे में भरोसा नहीं कर सकते बल्कि इस के इमान के बारे में भरोसा करेंगे इस पर और इसके मददगारों पर अल्लाह तआ़ला की लानत हो। हज़रत शेखुल इसलाम आरिफ बिल्लाह इमाम मुहम्मद अनवारुल्लाह फारूखी रहमतुल्लाहि अलैह यज़ीद के बारे में अपनी पुस्तक मक़ासिदुल इसलाम भागः 05 में पः 50 में लिखते हैः-
“मालूम नहीं दुष्ट किस प्रकार का आपति में पड़ा हुआ है और इस आलम में इस पर क्या-क्या गुज़र रही है?”
रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु के कथन अल्लाह तआ़ला की संतुष्टि व प्रसन्नता के वर्णन व प्रदर्शन के लिए हैं जो सम्मान व आदर के महल में प्रशंसा के उद्देश्य से वर्णन किए जाते हैं और रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु के कथन विशेष रूप से सहाबा किराम के लिए अधिक इन पावन लोगों के लिए जिन के हृदय व मन अल्लाह के खौफ से भरे हुए हों उपयोग किए जाते हैं जैसा के अल्लाह तआ़ला का आदेश हैः-
भाषांतरः- अल्लाह इन से संतुष्ट हुआ और वह अल्लाह से संतुष्ट हैं। ये इन के लिए है जो अपने रब से ड़रते हों।
(सुरह अल अंबियाः 08)
उपर्युक्त हदीसों और ज्ञानी विद्वानों के निबंध से ये विषय उजागर हुआ के यज़ीद दुष्ट, फासिख व फाजिर, फितने फैलाने वाला बिदअ़ती, सुन्नत को बदलने वाला, धर्म में असमानता ड़ालने वाला, हरमैन शरीफैन के सम्मान को व्यर्थ करने वाला, अहले बैत का निरादर व असम्मान करने वाला है। ऐसे व्यक्ति के लिए रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु व अमीरुल मोमिनीन के शब्द उपयोग करना वास्तव में इस को सम्मान व आदर देना है और ये इसलाम को ढ़ाने में मदद करने के मुतदआदिफ है जो क्रोध व विपत्ति व हलाकत के योग्य, शफाअ़त से वंचित और गुमराही है। रसूल अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने फासिख व फाजिर का सम्मान करने को इसलाम ढ़ाने में मदद करना घोषित दिया है।
हज़रत आयशा सिद्दीखा रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हा से वर्णित है हज़रत रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम ने आदेश फरमाया जिस ने किसी बिदअ़ती का सम्मान किया निश्चय इस ने इसलाम को धर्म बरबाद करने में मदद किया।
(मुअ़जम औसत लित तबरानी (जन्मः 260 हिज्री, देहान्तः 360 हिज्री) हदीस संख्याः 6263)
इमाम बैहखी (जन्मः 384 हिज्री, देहान्तः 458 हिज्री) की शुअ़बुल इमान में हदीस पाक हैः-
भाषांतरः- हज़रत सैयदना अनस
रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु से वर्णित है हज़रत रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि
वसल्लम ने आदेश फरमायाः जब फासिख की प्रशंसा की जाती है तो पालनहार का जलाल प्रकट
होता है और इस के कारण से अर्श लरज़ता है।
(शुअ़बुल
इमान, हदीस संख्याः 4692)
यज़ीद की ओर अमीरुल मोमिनीन कहने वाले को बनी उमैया के खलीफ आदिल हज़रत उमर बिन अबदुल अज़ीज़ रहमतुल्लाहि अलैह ने निरादर के योग्य घोषित किया है जैसा के फन रिजाल की मुसतनद पुस्तक तहज़ीब अलतहज़ीब, जिल्द 11, पः 316 में हाफिज़ इब्न हजर अ़सखलानी रहमतुल्लाहि अलैह ने लिखा हैः-
नौफल बिन अबु अ़खरब फरमाते
हैं, मैं हज़रत उ़मर बिन अबदुल
अ़ज़ीज़ रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु की सेवा में था एक व्यक्ति ने यज़ीद का वर्णन
करते हुए कहा के अमीरुल मोमिनीन यज़ीद ने युं कहा है, हज़रत उम़र बिन अबदुल अज़ीज़
रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने फरमायाः तू यज़ीद को अमीरुल मोमिनीन कहता है, फिर इस व्यक्ति को कोड़े
लगवाने का आदेश दिया। अर्थात इसे 20 कोड़े लगवाए
गए।
{और अल्लाह तआ़ला सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखने वाला है,
मुफती सैय्यद ज़िया उद्दीन
नक्षबंदी कादरी
महाध्यापक, धर्मशास्त्र, जामिया निज़ामिया,
प्रवर्तक-संचालक, अबुल हसनात इसलामिक रीसर्च
सेन्टर}