आपकी एक मुस्कुराहट

आपकी एक छोटी सी मुस्कान दुनिया बदल सकती हैं:

अगर आप एक टीचर हैं तो आप मुस्कुराते हुए क्लास में अंदर जाइये देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।

आप एक डॉक्टर हैं आप मुस्कुराते हुए मरीज का इलाज कीजिए मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।

मुस्कुराते हुए शाम को घर में दाखिल होंगे तो देखना पूरे परिवार में
खुशियों का माहौल बन जायेगा।

आप एक बिजनसमैन हैं, आप खुश होकर अपने ऑफिस में दाखिल  होते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के काम का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।

आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का से बात करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।

कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को भी  देखकर मुस्कुरा दीजिए देखिएगा उसके पसीने से लथपथ चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।

*प्यारे नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* का फरमान है:
मुस्कुराना भी सदक़ा है। जब भी किसी से मिलो सबसे पहले चेहरे पर मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखो, फिर सलाम करो और फिर मुसाफाह करो।

मुस्कुराइए क्योंकि
अल्लाह
ने मुस्कुराने की नेमत सारी दुनिया में जितने जानदार हैं उनमें से सिर्फ इंसानों को ही दी है। मुस्कुराहट के साथ अपने इंसान होने का सबूत दीजिये।
मुस्कुराइए, क्यूंकि मुस्कुराने से आपका कुछ खर्च नहीं होता ये तो आपकी खुशहाली की निशानी है।
मुस्कुराइए, क्यूंकि आपकी मुस्कराहट कई चेहरों पर मुस्कान
ला सकती है
मुस्कुराइए, क्यूंकि ये जिंदगी आपको दोबारा
नहीं मिलेगी

नमाज़ के मसायल

एक आम मुसलमान का तन्हा नमाज़ पढ़न गोया 1 बड़ी फौज से जंग करने से भी बड़ा है क्युंकि नमाज़ के तमाम उसूल उसको अकेले हीदेखने होंगे मसलन शरायत फ़रायज़ वाजिबात सुन्नत मुस्तहिबात मकरूहे तहरीमी मकरूहे तनज़ीही फासिदाते नमाज़ और ख़ासकर क़ुरान पढ़ने में मख़रज की अदायगी और इन तमाम शरायतों का पूरा कर पाना एक आम मुसलमान के लिए बहुत मुश्किल और तक़रीबन ना मुमकिन है

लेकिन अगर इमाम के पीछे यानि बा जमात नमाज़ पढ़ते है तो सिर्फ कुछ खास बातों को ही नज़र में रखे और उसपर अमल करने से ही उसकी नमाज़ हो जायेगी इंशा अल्लाह

* इमाम कैसा हो *

1. सबसे पहले ये देखें कि इमाम सुन्नी सहिउल अक़ीदा है कि नहीं क्यूंकि वहाबी देवबंदी क़ादियानी खारजी शिया अहले हदीस जमाते इस्लामी व दीगर बदमज़हब के मानने वालों को इमाम बनना हराम है और माज़ अल्लाह अगर उन्हें मुसलमान जाने जब तो काफिर है

फतावा रज़,जिल्द 3,सफह 234-240

2. सुन्नी सहिउल अक़ीदा इमाम होने के बावजूद इमाम के अंदर इमामत की शरायत पाया जाना बेहद ज़रूरी है जो हस्बे ज़ैल हैं

! सूद खाने वाला
! बे उज़्र शरई रोज़ा न रखने वाला
! जानबूझकर नमाज़ छोड़ने वाला
! झूठ बोलने वाला
! धोखा देने वाला
! फहश कलामी करने वाला
! नाच गाना देखने वाला
! नजूमी यानि एस्ट्रोलॉजर
! बाद मज़हबो से मेल जोल रखने वाला
! दाढ़ी एक मुश्त तक न रखने वाला
! सुन्नतों का अलल एलान इंकार करने वाला
! अपनी बीवी को बेपर्दा निकलने पर न रोकने वाला

हरगिज़ हरगिज़ हरगिज़ इमाम नहीं बन सकता अगर ऐसे इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ वाजिबुल इयादा होगी यानि उस नमाज़ को दोबारा पढ़ना वाजिब होगा

फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 151-158-257-204-208-217-255-269-266-201-215-219

3. इसके अलावा वो सहिउल क़िरात व मसाइले नमाज़ से अच्छी तरह वाक़िफ हो

फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 264

4. अगर सुन्नी सहिउल अक़ीदा इमाम के अंदर ये तमाम खराबी मौजूद हो तो तनहा नमाज़ पढ़ें और अगर इमाम ये सारे गुनाह करता तो है मगर अवाम में मशहूर नहीं है यानि छिपकर ये गुनाह करता है तो उसके पीछे नमाज़ पढ़ लें

फतावा रज़वियह,जिल्द 3,सफह 253

* मुक़्तदी क्या न करे *

5. उल्टा कपड़ा पहनकर,जानदार तस्वीर वाला,या कपड़ा होते हुए हाफ शर्ट पहनकर या आस्तीन या जीन्स मोड़कर,या लोहा पीतल तांबा सोने की अंगूठी पहनकर या चांदी की 4.3 ग्राम से ज्यादा की 1 अंगूठी या चांदी की 2 अंगूठी पहनकर,चैन या चैनदार घड़ी पहनकर नमाज़ पढ़ना मकरुहे तहरीमी है यानि वाजिबुल इयादा है

फतावा रज़विया,जिल्द 3,सफ़ह 438-48

6. मर्द को जूडा बांधना मकरुहे तहरीमी है नमाज़ वाजिबुल इयादा है

फतावा रज़विया, जिल्द 3,सफ़ह 417

7. सजदे में पैर की 1 उंगली का पेट ज़मीन से लगना यानि की मोड़कर ज़मीन पर रखना फ़र्ज़ है व दोनों पैरों की 3,3 ऊँगली का पेट लगना वाजिब है अगर फ़र्ज़ छूट गया तो नमाज़ सिरे से होगी ही नहीं और वाजिब छूटा तो नमाज़ वाजिबुल इयादा है

फतावा रज़विया, जिल्द 1,सफ़ह 556

8. कुछ लोग सजदे में जाते वक़्त दोनों हाथ से पैजामा या जीन्स ऊपर खींचते हैं ऐसा करना मकरुहे तहरीमी है उस नमाज़ को दोहराना वाजिब है

फतावा रज़विया, जिल्द 3,सफ़ह 416

9. 1 रुक्न में 3 बार हाथ हटाने या खुजाने से नमाज़ फ़ासिद हो जायेगी यानि जैसे ही तीसरी बार हाथ हटाया तो फ़ौरन नमाज़ से बाहर हो गया

बहारे शरीअत,हिस्सा 3,सफह 132

10. रुकू की तस्बीह में अज़ीम के माने बड़ा और अजीम के माने गूंगा तो जिन लोगों से रुकू में सुबहाना रब्बियल अज़ीम न बने तो वो सुबहाना रब्बियल करीम पढ़ें अजीम हरगिज़ न पढ़ें वरना नमाज़ तो होगी ही नहीं उल्टा गुनहगार अलग से होगा

मोमिन की नमाज़ सफह 107

11. रुकू से उठने के बाद और दोनों सजदो के बीच में कमर को एक दम सीधा करना वाजिब है अगर इसको तर्क किया तो नमाज़ मकरुहे तहरीमी होगी

बहारे शरीअत,हिस्सा 3,सफह 132

12. कपडा व दाढ़ी से खेलना,उंगलिया चटखाना,सजदे से उठते वक़्त दामन को सीधा करना,कन्धा या सीना खुला रखना,मर्द का सजदे में कलाई को ज़मीन पर बिछाना इमाम से पहले कोई रुक्न अदा करना ये सब मकरुहे तहरीमी है

बहारे शरीअत,हिस्सा 3,सफह 165-205-167

एतिकाफ़ की दो किस्में हैं
-
1- फ़र्ज़,
2- सुन्नत
#फ़र्ज़ वह है कि जो मन्नत मानकर अपने ज़िम्मे लाज़िम कर ले यह कहे कि अल्लाह के वास्ते एतिकाफ़ करूंगा तो उसका अदा करना फ़र्ज़ है।हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने इस्लाम से पहले एतिकाफ़ की मन्नत मानी थी।रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम से दर्याफ़्त किया तो आपने फ़रमाया कि तुम अपनी मन्नत पूरी करो।रमज़ान शरीफ़ के आख़िरी अशरे में (दस दिनों में)एतिकाफ़ सुन्नत है।हज़रत आएशा सिद्दीक़ा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमातीं हैं कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हमेशा रमज़ान शरीफ़ के आख़िरी अशरे में विसाल तक एतिकाफ़ किया।
(बुख़ारी)

Tazkira Hazrat Ayesha Siddiqah

تذکرہ سیدتنا ام المومنین حضرت سیدہ عائشہ صدیقہ رضی اللہ تعالیٰ عنہا
آج 17 رمضان المبارک یوم وصال حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنھا ہے
ام المؤمنین سیدہ عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا افضل البشر بعد الانبیاء سیدنا ابوبکر صدیق رضی اللہ عنہ کی صاحبزادی ہیں۔
آپ کی والدہ محترمہ کا نام سیدتنا ام رومان رضی اللہ عنہا ہے ۔
عقد نکاح:
ہجرت سے قبل ماہ شوال المکرم میں حضور اکرم صلی اللہ علہد وسلم نے آپ سے نکاح فرمایا اور ایک ہجری مںں رخصتی ہوئی اس وقت آپ کی عمر مبارک 9 سال تھی۔
آپ کے علاوہ کسی اور بے بیاہی سے حضور اکرم صلی اللہ علیہ وسلم نے نکاح نہیں فرمایا ۔
آپ کی کئی خصوصیات اور فضائل ہیں آپ بستر نبوت پر ہوتے اس حالت میں بھی نزول وحی ہوتا۔
آپ کی برأت اورپاکدامنی پر وحی نازل ہوئی ۔ صحیح بخاری ومسلم میں حدیث مبارک ہے :
حَدَّثَنِى أَبُو سَلَمَةَ بْنُ عَبْدِ الرَّحْمَنِ أَنَّ عَائِشَةَ رَضِىَ اللهُ عَنْهَا زَوْجَ النَّبِىِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَتْ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم : يَا عَائِشَ هَذَا جِبْرِيلُ يُقْرِئُكِ السَّلاَمَ ۔قُلْتُ وَعَلَيْهِ السَّلاَمُ وَرَحْمَةُ اللَّهِ . قَالَتْ وَهْوَ يَرَى مَا لاَ نَرَى .
ترجمہ :حضرت ابوسلمہ بن عبد الرحمن رضی اللہ عنہما سے روایت ہے کہ ام المؤمنین عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا نے فرمایا کہ حضرت رسول اللہ صلی اللہ علیہ والہ وسلم نے ارشاد فرمایا: ائے عائشہ! یہ جبریل ہیں تمہیں سلام کہتے ہیں تو میں نے جواب دیا کہ ان پر سلام اور اللہ کی رحمت ہو۔ اورآپ نے ارشاد فرمایا:حضور اکرم صلی اللہ علیہ والہ وسلم وہ دیکھتے ہیں جو ہم نہیں دیکھ سکتے۔
(صحیح بخاری ،کتاب الأدب، باب من دعا صاحبه فنقص من اسمه حرفا، حدیث نمبر: 6201۔ صحیح مسلم ، باب فى فضل عائشة رضى الله تعالى عنها. ،حدیث نمبر: 6457 )۔
ام المؤمنین رضی اللہ عنہا کا علمی مقام :
تقریباً دوہزار دوسو دس (2210) احادیث شریفہ آپ سے مروی ہیں ۔
جامع ترمذی شریف میں روایت ہے:
عَنْ أَبِى مُوسَى قَالَ مَا أَشْكَلَ عَلَيْنَا أَصْحَابَ رَسُولِ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ حَدِيثٌ قَطُّ فَسَأَلْنَا عَائِشَةَ إِلاَّ وَجَدْنَا عِنْدَهَا مِنْهُ عِلْمًا. قَالَ أَبُو عِيسَى هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ غَرِيبٌ.
ترجمہ: حضرت ابو موسیٰ اشعری رضی اللہ عنہ سے روایت ہے ،آپ فرماتے ہیںَ کہ ہم اصحاب رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم پر جب بھی کسی حدیث شریف سے متعلق (استنباط مسائل میں) مشکل ہوتی تو ہم حضرت عائشہ رضی اللہ عنہا  سے پوچھتے،اور آپ  کے پاس اس کا علم پاتے .
(جامع ترمذی، باب فضل عائشة رضى الله عنها. حدیث نمبر: 4257)  ونیز جامع ترمذی شریف میں مروی ہے :
عَنْ مُوسَى بْنِ طَلْحَةَ قَالَ مَا رَأَيْتُ أَحَدًا أَفْصَحَ مِنْ عَائِشَةَ۔
ترجمہ: حضرت موسیٰ ابن طلحہ رضی اللہ عنہ فرماتے ہیں کہ میں نے حضرت عائشہ رضی اللہ عنہا سے زیادہ کسی کو فصیح  و بلیغ نہیں  دیکھا۔
(جامع ترمذی، باب فضل عائشة رضى الله عنها. حدیث نمبر: 4258)
ام المومنین حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے،آپ فرماتی ہیں: جبرئیل علیہ السلام نے فرمایا میں  نے مشرق و مغرب کا ہر حصہ دیکھ لیا حضور نبی اکرم صلی اللہ علیہ وسلم سے افضل کسی کو نہیں پایا اور کسی خاندان کو بنی ہاشم سے بڑھ کر فضیلت والا نہ پایا۔ (معجم طبرانی ، بیقی )
صادقہ بنت صدیق(رضی اللہ عنہما)
حضرت مسروق رحمۃ اللہ علیہ جب حضرت ام المومنین عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا سے کوئی حدیث روایت کرتے تو یہ فرماتے:مجھے صادقہ بنت صدیق،حبیبہ حبیب اللہ نے بیان کیا ہے۔
قال الشعبی:کان مسروق اذا حدث عن عائشۃ رضی اللہ عنہا یقول:'' حدثتنی الصادقۃ ابنۃ الصدیق،حبیبۃ حبیب اللہ۔(مقدمۃ مسند ام المومنین عائشۃ رضی اللہ عنہا للیسوطی)
امام زہری رحمۃ اللہ علیہ نے فرمایا کہ اگر تمام امہات المومنین اور دنیا بھر کی خواتین کا علم جمع کیا جائے تو حضرت عائشہ رضی اللہ عنہا کا علم ان سب پر فوقیت لے جائے گا۔(مقدمۃ مسند ام المومنین عائشۃ رضی اللہ عنہا للیسوطی)
قال:لو جمع علم عائشۃ رضی اللہ عنہا الی علم جمیع امہات المومنین وعلم جمیع النساء لکان علم عائشۃ رضی اللہ عنہا افضل۔
واقعۂ افک اور صدیقہ کائنات رضی اللہ عنہا کی پاکی وبراءت:
منافقین اسلام کی روز افزوں ترقی سے بے حد پریشان ہونے لگے اور اہل اسلام سے ان کا حسد مزید بڑھتا چلا گیا وہ ہر وقت کوئی نہ کوئی فتنہ پیدا کرنے کی کوشش میں لگے رہتے ۔ غزوۂ مُرَیْسِیْعْ سے واپسی میں  انہوں نے اپنی فتنہ انگیزی کا سلسلہ جاری رکھتے ہوئے ام المؤمنین    حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا کی عفت و عصمت اور پاکدامنی کے خلاف آواز اٹھائی اور تہمت و بہتان باندھا۔  اللہ تعالیٰ نے اپنے کلام مبارک کے ذریعہ ام المؤمننن حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا کی عفت و پاکدامنی اور آپ کی براء ت و تقدس کا اعلان فرمایا، اس بہتان طرازی کی سخت مذمت فرمائی، تہمت لگانے والوں کے بدترین انجام کا ذکر  ، سورۂ نور میں ام المؤمنین کی قدر و منزلت اور شان اقدس کے بارے میں  دس آیات نازل فرمائی ۔  آیت تیمم  کا نزول: ’’غزوہ بنی مُصْطَلِقْ‘‘ جس کو ’’ مُرَیْسِیْعْ ‘‘کہا جاتاہے ، اسی غزوہ میں ’’تیمم‘‘کا حکم نازل ہوا ۔ (صححا ابن حبان ،کتاب الطہارۃ،باب التیمم،حدیث نمبر:1334۔ فتح الباری،کتاب التیمم،حدیث نمبر:322،ج:2،ص:23)
ام المومنین حضرت عائشہ رضی اللہ عنہا بھی اس سفر میں شریک تھںیں ، جب قافلہ مقام ’’بَیْدَاء ‘‘یا مقام ’’ذات الجَیْش‘‘ پہنچا تو حضرت عائشہ رضی اللہ عنہا کا ہار گم ہوگیا ، ہار تلاش کیا جانے لگا ، اس مقام پر پانی موجود نہ تھا، صحابہ کرام رضی اللہ عنہم نے نبی اکرم صلی اللہ علہج وسلم کی خدمت مںیں عرض کیا کہ وضو کے لئے پانی نہیں ہے، تب اللہ تعالیٰ نے تیمم کا حکم نازل فرمایا، حضور اکرم صلی اللہ علیہ وآلہ وسلم اورصحابۂ کرام نے تیمم کیا اور فجر کی نماز ادا کی ۔ جب تیمم  کی آیت نازل ہوئی تو صحابہ کرام مں  خوشی کی لہر دوڑگئی ، انہوں نے کہا:مَاھِیَ بِاَوَّلِ بَرَکَتِکُمْ یٰا اٰلَ اَبِیْ بَکْرٍ ۔ ترجمہ:اے اٰلِ ابوبکر یہ تمہاری پہلی برکت نہیں ۔ (صحح  بخاری،کتاب التیمم،حدیث نمبر:334 ۔صحح۔ مسلم،کتاب الطہارۃ،باب التیمم،حدیث نمبر:842)
شان سیدالمرسلین  بزبانِ ام المومنین (صلی اللہ علہ  وسلم ورضی اللہ عنہا) ام المؤمنین حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا فرماتی ہیں.
کان رسول اللّٰہ صلی اللّٰہ علیہ وسلم احسن الناس وجھاًوانورہم لوناً۔
حضرت رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم لو گوں میں سب سے بڑھ کرحسین چہرہ والے اوررنگت میں  سب سے بڑھ کر بارونق ہیں ۔
ام المؤمنین حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا فرماتی ہیں :
کنت اخیط فی السحر فسقطت منی الابرۃ فطلبتھافلم اقدر علیھا فدخل رسول اللّٰہ صلی اللّٰہ علیہ وسلم فتبینت الا برۃ بشعاع نور وجھہ۔
میں رات کے وقت کچھ سی رہی تھی تو میرے ہاتھ سے سوئی گرگئی مں  نے اس کوتلاش کی لیکن پانہ سکی پھر حضرت رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم رونق افروز ہوئے تو آپ کے چہرہ انور کے نور کی شعاع سے سوئی چمک اُٹھی۔
(خصائص کبریٰ ج 1 ص62!63۔سبل الھدی والرشاد ج2ص40)  حضور اکرم صلی اللہ علیہ وسلم کا پسینۂ مبارک چہرہ انور پر موتیوں کی طرح معلوم ہوتا۔
ام المؤمنین حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا فرماتی ہیں
کان عرق رسول اللّٰہ صلی اللّٰہ علیہ وسلم فی وجھہ مثل اللؤ لؤ اطیب ریحا من المسک الاذفر۔
حضرت رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم کا پسینۂ مبارک آپ کے چہرہ  انور پر آبدار موتیوں کی طرح ہوتا اور اس کی مہک مشک سے زیادہ خوشبودار ہوتی۔ حضور اکرم صلی اللہ علیہ وسلم قضائے حاجت سے فارغ ہوتے توزمین فضلات مبارک کو اپنے اندر لے لیتی اور اس مقام پر مشک کی خوشبومہکتی جیسا کہ حدیث پاک میں ہے:
عن عائشۃ قالت قلت یارسول اللّٰہ انی اراک تدخل الخلاء ثم یجیٔ الذی بعدک فلایری لما یخر ج منک اثرا فقال یاعائشۃ أما علمت انّ اللّٰہ امر الارض ان تبتلع ماخرج من الانبیاء۔
ام المومنین حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہاسے روایت ہے فرماتی ہیں کہ میں  نے عرض کیا یا رسول اللہ صلی اللہ علیہ وسلم میں  نے آپ کودیکھا آپ حاجت کے لئے تشریف لے جاتے ہیں اور وہ شخص جو آپ کے تشریف لانے کے بعد اس مقام پر آتا تو کوئی اثر نہیں پاتا تو آپ صلی اللہ علیہ وسلم نے ارشاد فرمایا: اے عائشہ ! کیا تم نہیں جانتی کہ اللہ تعالیٰ نے زمین  کو حکم فرمادیا کہ وہ انبیاء کرام کے فضلات کو نگل جائے۔(خصائص کبری ج 1ص71۔کنزالعمال ج14ص117) ام المؤمنین  حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنھا نے فرمایا:حضور اکرم صلی اللہ علیہ وسلم کے اخلاق تو قرآن کریم ہیں ۔  حضرت سعد بن ہشام بن عامر سے روایت ہے ، فرمایا: میں نے ام المؤمنین حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا کے پاس حاضر ہوکر عرض کیا : مجھے حضور اکرم صلی اللہ علیہ وسلم کے اخلاق کریمانہ سے متعلق بتائے  ! آپ نے فرمایا: حضور صلی اللہ علہک وسلم کے اخلاق قرآن شریف ہے کیا تم قرآن نہیں پڑھتے؟ اللہ تعالی کا یہ فرمان ہے :اور بے شک آپ اخلاق کی بلندیوں پر فائز ہیں (مسند احمد ، حدیث السداہ عائشہ ، حدیث نمبر:25338) ام المؤمنین حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنہا سے روایت ہے ، انہوں نے کہا : حضرت رسول اکرم صلی اللہ علیہ وسلم نے ارشاد فرمایا: تم میں سب سے اچھا وہ ہے جو اپنے اہل خانہ کے لئے اچھا ہو اور میں اپنے گھر والوں کے لئے سب سے اچھا ہوں ۔ (جامع ترمذی ، باب فضل ازواج النبی ، حدیث نمبر:4269) حضرت اسود بن یزید سے روایت ہے ، انہوں نے کہا: میں نے ام المؤمنین  حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنھا سے پوچھا ، حضور نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم جب کاشانۂ اقدس میں تشریف لاتے تو آپ کا عمل کیا ہوتا؟ فرمایا:حضور صلی اللہ علیہ وسلم اپنے اہل خانہ کے کام میں تعاون فرمایا کرتے پھر جب نماز کا وقت آتا تو مسجد میں کھڑے ہوتے اور نماز ادا فرماتے ۔
(جامع ترمذی ، باب صفۃ القایمۃ ، حدیث نمبر:2677)  ام المؤمنین  حضرت عائشہ صدیقہ رضی اللہ عنھا نے فرمایا: حضرت نبی اکرم صلی اللہ علیہ وسلم کو کسی دو چیزوں  کے درمیان اختیار نہیں دیا گیا مگر آپ نے آسان ترین چیز کو اختیار فرمایا جب تک کہ وہ گناہ نہ ہو ، جب وہ گناہ ہوتو آپ اُس سے سب سے زیادہ دور رہتے ، اللہ کی قسم ! آپ نے کبھی کبھی اپنی ذات کے لئے کسی بات کا انتقام نہیں لیا  یہاں تک کہ اللہ تعالی کی حرمتوں کو پامال نہ کیا جائے ، اگر اللہ تعالی کی حرمتوں کو پامال کیا جاتا تو آپ اللہ کے لئے انتقام لیتے۔ (صحح  بخاری ، کتاب الحدود، باب اقامۃ الحدود والانتقام لحرمات اللہ ، حدیث نمبر:6786)
وصال مبارک:
حضور پاک صلی اللہ علیہ وسلم کے وصال مبارک کے وقت آپ کی عمر شریف اٹھارہ 18 سال تھی
آپ کا وصال اٹھاون 58 ہجری مں  ہوا۔ نماز جنازہ حضرت ابوہریرہ رضی اللہ عنہ نے پڑھائی اور جنت البقیع میں  تدفین  عمل میں آئی ۔