शबे बारात के नवाफ़िल
और सलातुत तस्बीह
इन मौक़े पर आदमी
जितनी नवाफिल पढना चाहें पढ़ सकता है इन मौकों पर नवाफ़िल नमाज़ें तो बहुत हैं मगर
यहाँ चंद नवाफ़िल के बारे में बताया जाता है मगर यह बात क़ाबिल गौर और जानना बहुत
ज़रूरी है कि जिस शख्स के ज़िम्मे में क़ज़ा नमाज हों वह चाहे मर्द हो या औरत, इनका पढ़ना
(अदा करना) उनके लिए जल्द से जल्द वाजिब है
कज़ा नमाजें पढ़ना नफ्ल नमाज़ पढ़ने से अफजल है यानी जिस वक़्त नफ्ल नमाज़ पढता है या इन्हें छोड़कर क़ज़ा नमाज अदा करें ताकि बरीउज्ज़िम्मा हो जाए और साथ-साथ उन क़ज़ा नमाजों की
तौबा भी करें और अहद करें कि अब से कोई कजा नहीं होगी |
मगरिब की नमाज़ से
पहले पढ़ें:
माहे साबान की 14 तारीख को मगरिब की नमाज़ से पहले 40 मर्तबा
لَاحَوْلَ وَلَا
قُوَّۃَ اِلَّا بِااللّٰہِ الْعَلِیِّ الْعَظِیْمِ
और सो मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ने की बरकत से 40 वर्ष के गुनाह माफ होते हैं और जन्नत में खिदमत के लिए 40 हूर मामूर कर दी जाती हैं (मिफताहुल जिनान)
मुहताजी, आफत, और
बलियात से महफूज़
मगरिब की नमाज के बाद
6 रकात नवाफ़िल इस तरह पढ़ें की 2 रकात नमाज नफ्ल बारा
ए दराज़ी ए उम्र बिलखैर पढ़ें फिर सुरे यासीन
या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर दुबारा दो रकात नफिल बारा ए तरक्क़ी व कुशादगी ए रिजक पढ़े
फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार पढ़ कर और 2 रकात नफिल जमीन व
आसमान के मुसीबतों से महफूज़ रहने के लिए पढ़ें फिर सुरे यासीन या सुरह अहद 21 बार
पढ़ कर दुआ ए शाबान पढ़ें इंशाल्लाह 1 साल तक मुहताजी, आफत,
और बलियात करीब नहीं आएंगी |
४९०० हाजतें पूरी होने के लिए
हजरत ख्वाजा हसन बसरी
रादिअल्लाहु अनह फरमाते हैं कि मुझे 30 सहाबा कराम ने बयान
किया है कि इस रात जो शख्स यह नमाज ए खैर पढ़ता है तो अल्लाह उसकी तरफ 70 मर्तबा नजर ए रहमत
फरमाता है एक नजर में 70 हाजतें पूरी फरमाता है जिनमें सबसे छोटी हाजत
गुनाहों की मगफिरत है इस तरह कुल 4900 हाजतें पूरी होती
हैं इसका तरीका यह है कि 2-2 रकात करके सलात ए
खैर मुस्ताहब की नियत करें हर रकात मैं सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह इखलास पढ़ें
50 नमाज़ों की सो रकातों में 1000 मर्तबा सूरह इखलास पढेंगे |
गौसुल आलम महबूबे
यजदानी सुल्तान सैयद मखदूम अशरफ जहांगीर सिमनानी रादिअल्लाहु अनह फरमाते हैं शबे बरात में 100 रकात नमाज अदा करें
50 सलाम के साथ | इसके हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह इखलास पढ़े
जब नमाज से फ़ारिग हो जाए तो सजदे में सर रखकर यह दुआ पढ़ें तर्जुमा: मैं
पनाह मांगता हूं तेरे चेहरे के नूर से जिससे सात आसमान और सात जमीन रोशन हैं और इससे तारीकियाँ छट गई और सालिह हो गया इस पर अम्र
अव्वलीन व आखिरीन तेरी निमत के आने से और तेरी आखिरत की लपेटने से और तहरीर शुदा
बदी से जो साबिक़ में सरज़द हुई मैं पनाह मांगता हूं तेरे अफ़व के साथ तेरे आजाब से, और
मैं पनाह मांगता हूं तेरे रिज़ा के साथ और तेरे गज़ब से मैं पनाह मांगता हूं तुझसे तेरी
सना ए अज़ीम से तेरी रहमत बे इंतिहा है मैं
तेरी सना का इहाता इस तरह नहीं कर सकता जिस तरह तूने ख़ुद अपनी सना की है इसके बाद बैठ
जाए और दुरूद शरीफ पढ़कर यह दुआ मांगे | तर्जुमा: ए अल्लाह मुझे ऐसा दिल अत फरमा जो शिर्क से पाक और बद बख्ती से बरी हो उसके बाद
अल्लाह से हाजत तलब करे अलबत्ता क़ुबूल होगी |
तमाम छोटे बड़े गुनाहों
की माफी
8 रकात नफिल दो-दो करके
पढ़ें, हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 25 मर्तबा सूरह इखलास पढ़
कर ख़ुलूस ए दिल से तौबा करें और इस दुआ को
اَللّٰہُمَّ اِنَّکَ
عَفُوٌّ کَرِیْمٌ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّیْ یَا غَفُوْرُ یَا غَفُوْرُ
یَا غَفُوْرُ یَا کَرِیْمُ
खड़े होकर, बैठ कर, और सजदे में 44 मर्तबा पढ़ें
गुनाहों से ऐसे पाक हो जाएंगे जैसे कि आज ही पैदा हुए हों |
रिजक में बरकत और कारोबार
की तरक्की के लिए
2 रकात नमाज हर रकात में सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुर्सी एक मर्तबा सूरह इखलास 15 मर्तबा पढ़ें | सलाम के बाद 100 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़ें
फिर 313 बार
یَاوَھَّابُ یَا
بَاسِطُ یَارَزَّاقُ یَا مَنَّانُ یَا لَطِیْفُ یَا غَنِیُّ یَا مُغْنِیُّ یَا
عَزِیْزُ یَا قَادِرُ یَا مُقْتَدِرُ
पढ़ने से कारोबार में बरकत और रिजक में बढ़ोतरी
हो जाती है |
मौत की सख्ती से आसानी
और अजाबे कब्र से हिफाजत
4 रकात पढ़ें हर रकात में
सूरह फातिहा के बाद सूरह तकासुर एक मर्तबा और सूरह इखलास बार पढ़कर सलाम के बाद सूरह
मुल्क 21 मर्तबा और सूरह तौबा की आखिरी दो आयत है 21 बार पढ़ने से इंशाल्लाह
मौत की मौत की सख्तीयों और कब्र के आजाब से महफूज रहेंगेक |
2 रकात नफ्ल तहियातुल
वजू पढ़ें
तरकीब: हर रकात में
सूरह अलहम्द के बाद एक बार आयतल कुर्सी 3 बार सूरह इखलास पढ़ें | फजीलत: हर कतरा पानी के बदले 700 रकात नफिल का सवाब मिलेगा
|
2 रकात नफ्ल
हर रकात में अल हम्द
के बाद एक बार आयतल कुर्सी 15 बार कुल सूरह इखलास और सलाम के बाद एक सौ बार
दुरूद शरीफ पढ़ें | फजीलत: रोजी में बरकत होगी
रंज व गम से निजात, गुनाहों की बख्शीश व मगफिरत होगी |
8 रकात दो-दो करके
तरकीब: हर रकात में सूरह अलहमद के बाद 5 बार सूरह इखलास फजीलत: गुनाहों से पाक साफ होगा दुआएं कुबूल होगी सवाब
ए अज़ीम होगा
12 रकात दो दो करके
तरकीब: हर रकात में सूरह फातिहा के बाद 10 बार सूरह इखलास और 12 रकात पढ़ने के बाद 10 बार कलमा ए तौहीद 10 बार कलमा ए तमजीद 10 बार दुरुद शरीफ फ़ज़ीलत: तमाम नेक हाजतें पूरी होंगी
14 रकात दो-दो करके
तरकीब हर रकात में सूरह फातिहा के बाद जो सूरह चाहे
पढ़ें फजीलत: जो भी दुआ मांगे कुबूल
होगी
4 दो-दो करके
तरकीब: हर रकात में
सुरह फातिहा के बाद 50 बार सूरह इखलास शरीफ फजीलत: गुनाहों से पाक हो जाएगा जैसे अभी मां के पेट से पैदा हुआ हो |
8 रकात दो दो करके
हर रकात में सूरह
फातिहा के बाद 11 बार सूरह इखलास इसका सवाल खातून ए जन्नत बीबी फातिमा जहरा रजी अल्लाहा को नज्र
करें फ़ज़ीलत: आप
फ़रमाती हैं कि इस नमाज पढ़ने वाले की शफ़ाअत किए बिना जन्नत में कदम ना रखूंगी |
सलातुत तस्बीह का
आसान तरीका
तस्बीह “सुब्हानअल्ला
हि वलहम्दु लिल्ला हि वला इला ह इल्लल्ला
हु वल्लाहु अकबर”
سُبْحَانَ اللّٰہِ،
وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
सबसे पहले सलातुत
तस्बीह की नियत करें (चार रकअत एक सलाम से)
तर्जुमा: नीयत की
मैंने 4 रकअत सलातुत तस्बीह, वास्ते अल्लाह तआला के, मुंह मेरा काबा
शरीफ़ की तरफ़।
نَوَايْتُ اَنْ
اُصَلِّىَ لِلَّهِ تَعَالَى ارْبَعَ رَكَعَاتِ صَلَوةِ التَّسْبِيْحِ سُنَّةُ
رَسُوْلِ اللَّهِ تَعَالَى مُتَوَجِّهًا اِلَى جِهَةِ الْكَعْبَةِ الشَّرِيْفَةِ
اَللَّهُ اَكْبَرُ
फिर सना (सुब्हाना कल्ला हुम्मा…) के बाद 15 मरतबा तस्बीह पढ़ें। फिर
आउजु बिल्ला हि मि नश्शैता निर्र जीम बिस्मिल्लाहिर र्रहमानिर्र
हीम
सुरह फ़ातिहा (अल्हम्दोलिल्ला हि रब्बिल आ लमीन….) सूरे मिलाइये
(कुरआन की कम से कम तीन आयतें या जो चाहें) सूरे मिलाने के बाद 10 बार
سُبْحَانَ اللّٰہِ،
وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
फिर रुकूअ् में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ،
وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें । फिर (रुकूअ् से खड़े होकर)
क़याम (समिअल्ला हु लेमन ह मे दह रब्बना लक लहम्द के बाद) में 10 मरतबा
क़याम (समिअल्ला हु लेमन ह मे दह रब्बना लक लहम्द के बाद) में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ،
وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर सज्दे
में 10 मरतबा (सुब्हान रब्बिल आला के बाद) पढ़ें।
سُبْحَانَ اللّٰہِ،
وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
फिर (सज्दे के दरमियान) जल्सा में 10 मरतबा
سُبْحَانَ اللّٰہِ،
وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर दूसरे सज्दे में 10 मरतबा (सुब्हान रब्बिल आला के बाद)
سُبْحَانَ اللّٰہِ،
وَالْحَمْدُ لِلّٰہِ، وَلَا إِلٰہَ إِلاَّ اللّٰہُ، وَاللّٰہُ أَکْبَرُ
पढ़ें। फिर अगली
रकअत के लिए खड़े हो जाएं। इस तरह पहली रकअत में 75 मरतबा पढ़ें, दूसरी रकअ्त में 75 मरतबा पढ़ें। यानी खड़े होते ही पहले 15 बार फिर सूरे मिलाने के बाद 10 बार फिर रुकूअ् में 10 बार फिर क़याम में 10 बार फिर सजदे में 10 बार फिर जलसा में 10 बार फिर दूसरे सजदे में 10 बार। दूसरी रकात में कअ्दा में बैठकर अत्तहियात पढ़ें और फिर तीसरी रकात के
लिए खड़े हो जाएं। तीसरी रकअ्त में 75 मरतबा और चौथी रकअ्त में 75 मरतबा तस्बीह पढ़ें। चौथी रकात में कअदा में
बैठकर अत्तहियात, दरूद इब्राहिम और दुआ पढ़कर नमाज़ मुकम्मल करें। इस तरह चार रकअत में कुल 300 मरतबा तस्बीह पढ़ी जाएगी।
-तालिब ए दुआ
अबू महामिद आले
रसूल अहमद
Mobile: +91-7282896933