ब्लड डोनेशन में दूसरों के साथ साथ अपना भी फायदा


ब्लड डोनेशन को लेकर सरकार की नीति स्पष्ट न होने के चलते बहुत से लोगों के मन में ब्लड डोनेशन को लेकर दुविधा बनी रहती है। ब्लड डोनेट करना क्यों जरूरी है और जरूरत पड़ने पर क्या करें ???
क्यों है जरूरी

१.   ब्लड डोनेट कर एक शख्स दूसरे शख्स की जान बचा सकता है
२.   ब्लड का किसी भी प्रकार से उत्पादन नहीं किया जा सकता और न ही इसका कोई विकल्प है।
३.   देश में हर साल लगभग 250 सीसी की 4 करोड़ यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है। सिर्फ 5,00,000 यूनिट ब्लड ही मुहैया हो पाता है।
४.   हमारे शरीर में कुल वजन का 7% हिस्सा खून होता है।
५.   आंकड़ों के मुताबिक 25 प्रतिशत से अधिक लोगों को अपने जीवन में खून की जरूरत पड़ती है।

क्या हैं फायदे
१.   ब्लड डोनेशन से हार्ट अटैक की आशंका कम हो जाती है। डॉक्टर्स का मानना है कि डोनेशन से खून पतला होता है, जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है।
२.   एक नई रिसर्च के मुताबिक नियमित ब्लड डोनेट करने से कैंसर व दूसरी बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है, क्योंकि यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है।
३.   ब्लड डोनेट करने के बाद बोनमैरो नए रेड सेल्स बनाता है। इससे शरीर को नए ब्लड सेल्स मिलने के अलावा तंदुरुस्ती भी मिलती है।
४.   ब्लड डोनेशन सुरक्षित व स्वस्थ परंपरा है। इसमें जितना खून लिया जाता है, वह 21 दिन में शरीर फिर से बना लेता है। ब्लड का वॉल्यूम तो शरीर 24 से 72 घंटे में ही पूरा बन जाता है।

ब्लड डोनेट करने से पहले
ब्लड देने से पहले मिनी ब्लड टेस्ट होता है, जिसमें हीमोग्लोबिन टेस्ट, ब्लड प्रेशर व वजन लिया जाता है। ब्लड डोनेट करने के बाद इसमें हेपेटाइटिस बी, व, सी, एच,आई,वी, सिफलिस व मलेरिया आदि की जांच की जाती है। इन बीमारियों के लक्षण पाए जाने पर डोनर का ब्लड न लेकर उसे तुरंत सूचित किया जाता है।
१.   ब्लड की कमी का एकमात्र कारण जागरूकता का अभाव है।
२.  18 साल से अधिक उम्र के स्त्री-पुरुष, जिनका वजन 50 किलोग्राम या अधिक हो, वर्ष में तीन-चार बार ब्लड डोनेट कर सकते हैं।
३.  ब्लड डोनेट करने योग्य लोगों में से अगर मात्र 3 प्रतिशत भी खून दें तो देश में ब्लड की कमी दूर हो सकती है। ऐसा करने से असमय होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
४.  ब्लड डोनेट करने से पहले व कुछ घंटे बाद तक धूम्रपान से परहेज करना चाहिए।
५.  ब्लड डोनेट करने वाले शख्स को रक्तदान के 24 से 48 घंटे पहले ड्रिंक नहीं करनी चाहिए।
६.  ब्लड डोनेट करने से पहले पूछे जाने वाले सभी प्रश्नों के सही व स्पष्ट जवाब देना चाहिए।
नोट: ब्लड डोनेट करने के बाद आप पहले की तरह ही कामकाज कर सकते हैं। इससे शरीर में किसी भी तरह की कमी नहीं होती। इस महत्त्पूर्ण बातें को हर आदमी तक पहुचाऎ ताकि रक्तदान करने वालो की गलतफहमी दूर हो सके तथा रक्तदान नहीं करने वाले भी ज्यादा से ज्यादा रक्तदान करके खुद भी स्वस्थ रहे तथा कई लोगों की जान बचा सके|                  

मौका दीजिये अपने खून को किसी की रगों में बहने का
ये लाजवाब तरीका है , कई जिस्मों में ज़िंदा  रहने  का

ब्लड ग्रुप की तुलना
  आपका ब्लड कौन सा है और उसकी उपलब्धता कितनी है?
O+       1 in 3        37.4%
(प्रचुरता में उपलब्ध)
A+        1 in 3        35.7%
B+        1 in 12       8.5%
AB+     1 in 29        3.4%
O-        1 in 15        6.6%
A-        1 in 16        6.3%
B-        1 in 67        1.5%
AB-     1 in 167        .6%
(दुर्लभ)

Compatible Blood Types
O-    ले सकता है      O-
O+   ले सकता है      O+, O-
A-    ले सकता है       A-, O-
A+ ले सकता है A+, A-,O+,O-
B- ले सकता है  B-, O-
B+ ले सकता है B+,B-,O+,O-
AB- ले सकता है AB-,B-,A-,O-
AB+ ले सकता है  AB+, AB-, B+, B-, A+,  A-,  O+,  O-

Law Commission Ke Jari Karda Form


तीन तलाक़
तलाक सलासह (तीन तलाक) या किसी भी मामले के समाधान के लिए केवल सुन्नी तंजीम द्वारा सरकार से मांग की जाए |
प्रस्तुत: ऑल इंडिया उलमा व माशाइख बोर्ड लखनऊ
सवाल:
 अस्लामो अलैकुम वरहमतुअल्लाह वबरकातहु
 सभी उल्मा ऐ किराम से आग्रह है के इस सवाल का जवाब इनायत फरमाए |
तलाक सलासा (तीन तलाक) की जो समस्या चल रही है जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। इनमें कुछ जगहों पर सुन्नी उलमा और देवबंदी जमाअत सब मिलकर एक ही मंच पर रहकर विरोध कर रहे हैं एक दूसरे से हाथ मिलाने और गले लगाने का मुआमलात भी हो रहे हैं तो क्या यह सही है ऐसे जगहों पर जा सकते हैं उलमा ऐ किराम जवाब इनायत फरमायें |
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जवाब:
आवाज सही उठाना महत्वपूर्ण कर्तव्य है, यहां तक के भरपूर कोशिश की जानी चाहिए, लापरवाही और सुस्ती की चादर उतार फेकनी चाहिए। मगर इसका मतलब हरगिज हरगिज यह नहीं कि एक बुराई को खत्म करने के लिये दूसरी बुराई से पीड़ित हुआ जाये।
अहले सुन्नत व जमात को अपने ही खास सुन्नी स्टेज से संघर्ष करना चाहिए, बद-मजहब और बद-अक़ीदा लोगो को अपने स्टेज पर सम्मान देना, गले मिलना, हाथ मिलाना कैसे उचित हो सकता है?
सैयद आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:
अनुवाद: जिसने किसी बद-मजहब की सम्मान की दरअसल उसने इस्लाम के ढहा देने पर मदद की। (शुबुल इमान, अल-बहीक़ी)
अलहम्दु लिल्लाह ! अहले सुन्नत वल जमात हर जगह बड़ी संख्या में मौजूद हैं, न जाने फिर भी सुन्नी कौम के कुछ नेता व रहनुमा हर मामले में दूसरों पर निर्भर क्यों रहते हैं ? और ऐसा  सोच व विचार अपने मन में क्यों लाते हैं कि जब तक बद-मजहब और बद-अकीदा लोगों को साथ न मिक्स करेंगे तो बात नहीं बनेगी।
जंगे बद्र से कौन परिचित नहीं ? और युद्ध में संख्या का बढ़ाना कितना पसंदीदा होता है मगर सैयद आलम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने इस नाजुक मौके पर भी मुशरिको की सहायता कबुल नहीं की।
कौम के नेताओं और रहनुमा को भी चाहिए कि वे इस्लाम की सर बुलन्दी के लिए दूसरों के कन्धों की सवारी से बचें, अपनी ताकत ए ईमानी का सामने लाएं, अपनों को जमा करें , और अपनी ताकत को एक प्लेटफोर्म पर जाहिर करें ।
लिहाजा सिर्फ और सिर्फ सुन्नी स्टेज से तहरीक चलाई जाये और फकत सुन्नी के साथ मिल कर आवाज हक बुलंद करें ।
واللہ تعالی اعلم
अज क़लम : अल्लामा हामिद सरफराजी क़ादरी साहब
तो आईए ! हम भी ऑल इंडिया उलमा व माशाइख बोर्ड के परचम तले अपनी आवाज़ बुलुंद करते हैं और यह फॉर्म भर कर के अपनी नज़दीकी बोर्ड के ऑफिस (AIUMB) में जमा करें या ई-मेल के ज़रिए मेल कर दें |
अपीलकर्ता :
आले रसूल अहमद
ऑल इंडिया उलमा व माशाइख बोर्ड लखनऊ
7317380929, 9936459242, 9212357769
Website: www.aiumb.org
    

Mustafa Shan e Azmat Pe Lakhoon Salam

مصطفیٰ شانِ عظمت پہ لاکھوں سلام
شمعِ بزمِ      ہدایت    پہ لاکھوں سلام
جانشینِ       نبی    حضرت       بو بکر
انکے صدق وصداقت پہ لاکھوں سلام
دوسرے     جانشیں   مصطفیٰ کے عمر
جانِ عدل و عدالت پہ لاکھوں سلام
جامع القرآن   ہیں عثمان   ذوالنورین
ان کی شاہی کتابت پہ لاکھوں سلام
سرتاجِ     فاطمہ    ہیں      علی مرتضیٰ 
انکے گھر کی شجاعت پہ لاکھوں سلام
لاڈلے مصطفیٰ کے حسن اور حسین
ان جوانانِ جنت    پہ لاکھوں سلام
غوث اعظم      امام      التقا   والنقا
جلوۂ شانِ قدرت پہ لاکھوں سلام
ہند کے بادشاہ دین   کے ہو معیں
خواجئہ دین و ملّت پہ لاکھوں سلام
شاق تم   سا    فرید    اور نظام اولیاء
ان بزرگوں کی عادت پہ لاکھوں سلام
صبر کے    بادشاہ    میرے    صابر پیا
صابرِ    اہلِ مِلّت     پہ لاکھوں سلام
جن کو   کہتی     ہے    دنیا  سید سالار
غازئ   اہلِ سنّت    پہ لاکھوں سلام
ہند کے آئینہ میرے مخدوم سراج
انکی مخدومی طاقت پہ لاکھوں سلام
شاہ علاء الحق مخدوم سمناں کے پیر
ان علائی کرامت پہ لاکھوں سلام
محبوبِ یزداں میرے شاہ اشرف پیا
انکی    نورانی    تربت پہ لاکھوں سلام
غوث کی شکل پائی تو   خواجہ کا رنگ
اشرفی اعلیٰ حضرت پہ لاکھوں سلام
سیدالاولیاء       ہیں     محمد     میاں
انکی روحانی طاقت پہ لاکھوں سلام
سرکارِ کلاں ہیں میرے مختار اشرفی
انکی مختاری شوکت پہ لاکھوں سلام
سیدی    مرشدی     مجتبیٰ     اشرفی
ایسے پیرِ طریقت پہ لاکھوں سلام
ہیں مارہرہ کے شاہ سید آلِ رسول
ان برکاتی ریاست پہ لاکھوں سلام
نائب   الانبیاء     شاہ    وارث    پیا
ایسے وارث کی عظمت پہ لاکھوں سلام
عاشقِ   مصطفیٰ     شاہ     احمد    رضا
انکی ساری عقیدت پہ لاکھوں سلام
شیخ اعظم     میرے     شاہ   اظہار ہیں
ان کی نورانی صورت پہ لاکھوں سلام
جانشین    محدّث   ہیں    مدنی   میاں
ان کے علم و فراست پہ لاکھوں سلام
خادمِ    مصطفیٰ     ہیں    سبھی    اولیاء
سب ولی کی ریاضت پہ لاکھوں سلام
کہتا    ہے    بس    یہی    اشرفی   برملا
میرے آقاکی عظمت پہ لاکھوں سلام

Auraton Ke Huqooq Ke Liye Ladai ladne Wale Log

भेड़ियों ने बकरियों के हक़ में एक जुलूस निकाला कि बकरियों को आज़ादी दो और बकरियों के हुक़ूक़ मारे जा रहे हैं, उन्हें घरों में क़ैद कर के रखा गया है |
 एक बकरी ने जब यह आवाज़ सुनी तो दूसरी बकरियों से कहा कि  सुनो सुनो हमारे हक़ में जुलूस निकाले जा रहे हैं | चलो ! चलो ! हम भी निकलते हैं और अपने हुक़ूक़ की आवाज़ उठाते हैं | एक बूढ़ी बकरी बोली:  बेटी होश से काम लो, यह भेड़िये तुम्हारे दुश्मन हैं, इनकी बातों में मत आओ | मगर नौजवान बकरियों ने उसकी बात न मानी और कही कि अरे आपका ज़माना और था, यह माडर्न ज़माना है, अब कोई किसी के हुक़ूक़ नहीं छीन सकता   | यह भेड़िये हमारे दुश्मन कैसे हो सकते हैं ?  यह तो हमारे हुक़ूक़ की बात कर रहे हैं, हमारी आज़ादी की आवाज़ उठा रहे हैं |
 यह सुनकर बूढ़ी बकरी बोली: बेटा यह तुम्हें बर्बाद करना चाहते हैं,  तुम्हारी इज़्ज़तों से खेलना चाहते हैं,  अभी तुम महफ़ूज़ हो, अगर तुम इनकी बातों में आ गईं तो यह तुम्हें चीर फाड़ कर रख देंगे |
बूढ़ी बकरी की यह बात सुनकर जवान बकरी ग़ुस्से में आ गई और कहने लगी:  अम्मा तुम तो बूढ़ी हो चुकी हो, अब हमें हमारी ज़िंदगी जीने दो, तुम्हें क्या पता कि आज़ादी क्या होती है ? बाहर ख़ूबसूरत खेत होंगे, हरे भरे बाग़ होंगे, हर तरफ़ हरियाली होगी, ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ होंगी. तुम अपनी नसीहत अपने पास रखो | अब हम और यह क़ैद बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं | यह कह कर सब जवान बकरियाँ आज़ादी आज़ादी के नारे लगाने लगीं और भूख हड़ताल कर दी|
बकरियों के मालिक ने जब यह सूरते हाल देखी तो मजबूरन उन्हें खोलकर आज़ाद कर दिया, बकरियाँ बहुत ख़ुश हुईं और नारे लगाती छलाँगें मारती निकल भागीं, मगर यह क्या ?
भेड़ियों ने तो उन पर हमला कर दिया और मासूम बकरियों को चीर फाड़ कर रख दिया |
नसीहत: आज औरतों की आज़ादी की बात करने वाले दर हक़ीक़त औरतों तक पहुंचने की अपनी आज़ादी चाह रहे हैं, यह हवस के प्यासे हैं, यह सारा खेल हुकूमतों को चलाने वाले उन सरमायेदारों का है जो अपनी तिजोरियाँ भरने के लिये औरतों को इस्तेमाल करना चाहते हैं, अपने प्रोडक्ट्स की माडलिंग के लिये, अपने आफ़िस और शोरूम में कस्टमर को खींचने के लिये औरतों को आगे करना चाहते हैं, अब अगर औरतें अपने घरों में रहेंगी तो इनके मंसूबों पर पानी फिर जाएगा.
इसलिये यह सरमायेदार औरतों को घरों से बाहर निकालने के लिये उनके हुक़ूक़ और आज़ादी की झूठी बाते करते हैं|
मेरी प्यारी बहनों आप ज़रा गौर तो करें कि जो लोग लड़की को पेट में ही मार देते है वही लोग आज कह रहे है की इस्लाम औरतो को उनके अधिकार नही देता | इस्लाम वो मज़हब है जो बेटी को पेट मे मारने की इजाजत नही देता है, इस्लाम में माँ के पैरों के नीचे जन्नत का रखा गया है और बेटी को ख़ुदा की रहमत क़रार दी है |
ये मज़हब है इस्लाम
काश कि कोई समझे



Teen Talaq Aur Civil Code By Aiumb

تین طلاق اور یکساں سول کوڈ کا معاملہ غیر ضروری، حکومت پہلے دفعہ 341سے مذہبی قید ہٹائے
علما ومشائخ بورڈ کے صدر مولانا سید محمد اشرف کچھوچھوی  کا مطالبہ
آل انڈیا علما ومشائخ بورڈ نے لا کیشن کے سوالنامہ پر ردعمل ظاہر کرتے ہوئے سوال اٹھایا ہے کہ کیا تین طلاق کی منسوخی اور یکساں سول کوڈ سے ملک کی ترقی کی رفتار بڑھ جائے گی اور اگر مسلمانوں کو یکساں حقوق دینے کی نیت ہے تو آئین کی دفعہ 341 سے مذہبی قید ہٹانے سے گریز کیوں؟
سنی صوفی مسلمانوں کی نمائندہ تنظیم آل انڈیا علما ومشائخ بورڈ کے صدر اور بانی حضرت مولانا سیدمحمداشرف کچھوچھوی نے آج یہاں  نامہ نگاروں  سے بات کرتے ہوئے کہا کہ آئین کی دفعہ 341 میں مذہبی قید لگا کر حکومت نے مسلم فرقہ کے پچھڑے طبقات کو ان سہولتوں سے محروم کر دیا جو دیگر برادران وطن کے ان ہی طبقات کو حاصل ہیں اور اب ایک غیر ضروری معاملہ  اٹھا کر خواہ مخواہ ہیجان پیدا کرنے کی کوشش کی جا رہی ہے۔ جسٹس راجیندر سچر کی قیادت میں بنائی گئی ایک کمیٹی نے اپنی سفارش میں یہ بات کھل کر کہی ہے کہ مسلمانوں کی حالت دلتوں سے بھی بد تر ہو گئی ہے اور اس سفارش کے پیش نظر حکومت سے یہ توقع کی جا سکتی ہے کہ وہ مسلمانوں کی سماجی،تعلیمی،مالی اور سیاسی حالت بہتر بنانے کے اقدام کرے گی لیکن اس کی بجائے تین طلاق اور یکساں سول کوڈ کا معاملہ پوری شدت کے ساتھ بحث میں لا کھڑا کیا گیا اور اس بحث میں عوامی ذرائع ابلاغ پر مسلمانوں کی نمائندگی کرنے کے لئے جن مسلم عورتوں کو لا یا جارہا ہے ان میں اکثریت سلفی اورغیر مقلدین کی ہے۔
مسلمانوں کے درمیان اتحاد و اتفاق پر ایک بین الاقوامی کانفرنس میں بورڈ کے دو اہم عہدیداروں سید تنویرہاشمی اور سید سلمان چشتی کے ساتھ ماسکو روانگی سے قبل کل رات بورڈ کے صدر دفتر میں نامہ نگاروں سے حضرت مولانا سید محمد اشرف کچھوچھوی نے کہا کہ ملک میں پہلے سے ہی ایک قانون چل رہا ہے۔ فوجداری اور دیوانی دونوں یکساں قوانین سارے شہریوں پر باضابطہ نافذ ہیں۔صرف نکاح طلاق اور وراثت کے قوانین میں ہی تمام مذاہب کے پرسنل لاز پر عمل ہو رہا ہے۔
شادی میں بھی اسپشل میریج ایکٹ نافذ اور زیر عمل ہے۔شادی طلاق اور وراثت کے شرعی قوانین میں مداخلت سے ملک کی ترقی یا اس کی خوش حالی میں کیا فرق پڑے گا نہیں معلوم۔
اس لئے بورڈ یہ سمجھتا ہے کہ اس کی ضرورت نہیں اس لئے بورڈ بہت جلد ہندوستان بھر کے مفتیان کرام کی ایک بڑی کانفرنس منعقد کر کے  اس سوال پر ان کی تحریری رائے طلب کرکے اور تمام پہلوؤں پر غور کر کے ایک نتیجہ پر پہنچے گا اوروہی نتیجہ بورڈ کا حتمی موقف ہوگا۔
ایک سوال کے جواب میں حضرت مولانا سید محمد اشرف کچھوچھوی نے کہا کہ جومسلم خواتین تین طلاق کے خاتمے اور یکساں سول کوڈ کے نفاذکا مطالبہ کر رہی ہیں ان کا تعلق اہل حدیث سے ہے۔وہ چاروں ائمہ میں سے کسی کے مسلک کی تقلید نہیں کرتیں۔
چاروں ائمہ نے تین طلاق کے معاملہ کی اجازت دی ہے۔غیر مقلد اس سے متفق نہیں۔سوال یہ ہے کہ اہل حدیث کو یہ حق کہاں سے حاصل ہو گیا کہ اس سے تعلق رکھنے والی عورتیں تمام ہندوستانی مسلم خواتین کی نمائندہ بن کر کھڑی ہوں۔آئین نے ہندوستان میں ہر مذہب کے ماننے والے کو اپنے مذہب پر چلنے کی آزادی کی ضمانت دی ہے۔
حضرت مولانا سید محمد اشرف کچھوچھوی نے ایک اور سوال کے جواب میں کہا کہ طلاق کسی ناگوار رشتے سے عافیت کے ساتھ نکل آنے کی صورت ہے۔اس کا غلط استعمال روکنے کے لئے بیداری لانا ضروری ہے۔ قانون اسی لئے بنائے جاتے ہیں کہ لوگ قانون کے مطابق اپنے آپ کو ڈھا لیں نہ کہ لوگوں کی طبیعت کے مطابق قانون بدلا جائے۔ تین طلاق کو ختم کرنے کی نیت ٹھیک نہیں کیونکہ اگر کوئی شخص غصے میں کسی کو قتل کردے تو کیا حکومت آئین کی دفعہ 302کو بدلنے کی کوشش کرے گی۔اس کا سیدھا جواب نہیں ہے کیونکہ قانون تو ہر حال میں رہے گا۔#قانون کی خلاف ورزی یا اس کا غلط استعمال روکنے کے لئے بیداری لانے کی ضرورت ہے اور اس پر کام ہونا چاہئے۔
شائع کردہ: آل رسول احمد
آل انڈیا علماء ومشائخ بورڈ لکھنؤ
موبائل : 7317830929
نوٹ: دہشت گردی کے خلاف صوفیائے کرام کی محبت، بھائی چارہ اور امن  وشانتی کے پیغام کو عام کرنے کے لئے شہر لکھنؤ میں آل انڈیا علماء ومشائخ بورڈ کی جانب سے 04 دسمبر 2016 بروز اتوار کو سنی صوفی کانفرنس کا انعقاد کیا جارہا ہے ۔
آپ تمامی حضرات سے گزارش ہے کہ آل انڈیا علماء ومشائخ بورڈ کی آواز پر لبیک کہتے ہوئے لاکھوں کی تعداد میں پرامن طریقے سے پہونچ کر اپنی دینی و ملی بیداری کا ثبوت دیں۔