Baba Guru Nanak Ji About Islam


हुजुर रहमतुल लिल आलमीन (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम)
 की शान, बाबा  गुरु नानक जी की नज़र में

इस्लामी भाईयो! पूरा क़ुरआन हमारे नबी (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) की अ़ज़मत और महानता को बयान करता है। तमाम सहाबा, तमाम ताबेअ़ीन, तमाम तब्अ़े ताबेअ़ीन, तमाम सालेहीन, तमाम ग़ौसो ख़्वाजा, क़ुतूबो अब्दाल, तमाम मोजद्दीदन वग़ैरा ने नबी-ए-पाक की अ़ज़मत को तस्लीम किया। अपने तो अपने ग़ैरों ने भी हुज़ूर (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) की महानता को तस्लीम किया है। उन्हीं में से एक नाम गुरु नानक का भी है।
गुरु नानक कहते हैं कि
सलाह़त मोहम्मदी मुख ही आखू नत! ख़ासा बंदा सजया सर मित्रां हूं मत!!
»
यानीः- ह़ज़रत मोहम्मद की तारीफ़ और हमेशा करते चले जाओ। आप अल्लाह तआला के ख़ास बंदे और तमाम नबीयों और रसूलों के सरदार हैं।

(जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 246, जन्म साखी श्री गुरु नानक देव जी, प्रकाशन गुरु नानक यूनीवर्सिटी, अमृतसर, पेज नम्बर 61)
नानक जी ने इस बारे में ये बात भी साफ़-साफ़ बयान किया है कि दुनिया की निजात (मुक्ति) और कामयाबी अल्लाह तआला ने हज़रत मोहम्मद के झण्ड़े तले पनाह लेने से वाबस्ता कर दिया है। गोया कि वही लोग निजात पाऐंगे, जो हज़रत मोहम्मद की फ़रमाबरदारी इख़्तियार करेंगे और हज़रत मोहम्मद की ग़ुलामी में ज़िन्दगी बसर करने का वादा करेंगे। चुनांचे नानक कहते हैं कि
सेई छूटे नानका हज़रत जहां पनाह!
»
यानीः- निजात उन लोगों के लिए ही मुक़र्रर है, जो हज़रत मोहम्मद की पनाह में आऐंगे और उनकी ग़ुलामी में ज़िन्दगी बसर करेंगे।

(जन्म साखी विलायत वाली, प्रकाषन 1884 ईस्वी, पेज 250)
नानक जी के इस बयान के पेशे नज़र गुरु अर्जून ने यह कहा है कि..
अठे पहर भोंदा, फिरे खावन, संदड़े सूल! दोज़ख़ पौंदा, क्यों रहे, जां चित न हूए रसूल!!
»
यानी: जिन लोगों के दिलों में हज़रत मोहम्मद की अ़क़ीदत और मोहब्बत ना होगी, वह इस दुनिया मे आठों पहर भटकते फिरेंगे और मरने के बाद उन को दोज़ख़ मिलेगी।

(गुरु ग्रन्थ साहब, पेज नम्बर 320)
नानक ने इन बातों के पेशे नज़र ही दूसरे लोगों को ये नसीहत की है कि
मोहम्मद मन तूं, मन किताबां चार! मन ख़ुदा-ए-रसूल नूं, सच्चा ई दरबार!!
»
यानीः हज़रत मोहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) पर ईमान लाओ और चारों आसमानी किताबों को मानो। अल्लाह और उस के रसूल पर ईमान लाकर ही इन्सान अपने अल्लाह के दरबार में कामयाब होगा।

(जन्म साखी भाई बाला, पेज नम्बर 141)
एक और जगह पर नानक जी ने कहा कि
ले पैग़म्बरी आया, इस दुनिया माहे! नाऊं मोहम्मद मुस्तफ़ा, हो आबे परवा हे!!
»
यानीः- जिन का नाम मोहम्मद है, वह इस दुनिया में पैग़म्बर बन कर तशरीफ़ लाए हैं और उन्हें किसी भी शैतानी ताक़त का ड़र या ख़ौफ़ नहीं है। वह बिल्कुल बे परवा हैं।

(जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 168)
एक और जगह नानक ने कहा कि
अव्वल नाऊं ख़ुदाए दा दर दरवान रसूल! शैख़ानियत रास करतां, दरगाह पुवीं कुबूल!!
»
यानीः किसी भी इन्सान को हज़रत मोहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) की इजाज़त हासिल किए बग़ैर अल्लाह तआला के दरबार में रसाई हासिल नहीं हो सकती।

(जन्म साखी विलायत वाली, पेज नम्बर 168)
एक और मक़ाम पर गुरु नानक ने कहा है कि
हुज्जत राह शैतान दा, कीता जिनहां कुबूल! सो दरगाह ढोई, ना लहन भरे, ना शफ़ाअ़त रसूल!!
»
यानीः जिन लोगों ने शैतानी रास्ता अपना रखा है और हुज्जत बाज़ी से काम लेते हैं। उन्हें अल्लाह के दरबार में रसाई हासिल ना हो सकेगी। ऐसे लोग हज़रत मोहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) की शफ़ाअ़त से भी महरुम रहेंगे। शफ़ाअ़त उन लोगों के लिए है, जो शैतानी रास्ते छोड़कर नेक नियत से ज़िन्दगी बसर करेंगे।

(जन्म साखी भाई वाला, पेज नम्बर 195)
एक सिक्ख विद्वान डॉ. त्रिलोचन सिंह लिखते हैं कि
हज़रत मोहम्मद नूं गुरु नानक जी रब दे महान पैग़म्बर मन्दे सुन

(जिवन चरित्र गुरु नानक, पेज नम्बर 305)
अल ग़रज़, गुरु नानक हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) को अल्लाह तआला का ख़ास पैग़म्बर ख़ातमुल मुरसलीन (आख़री रसूल) और ख़ातमुल अंम्बिया (आख़री पैग़म्बर) तसलीम करते थे और तमाम नबीयों का सरदार समझते थे। गुरु नानक के नज़दीक दुनिया की निजात, हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) के झण्ड़े तले जमा होने से जुड़ी है। : @[156344474474186:]

पहला नाम खुदा का  दूजा नाम  रसूल ।
तीजा कलमा पढ़ नानका दरगे पावें क़बूल ।
डेहता नूरे  मुहम्मदी  डेगता  नबी  रसूल ।
नानक कुदरत देख कर दुखी गई सब भूल |

ऊपर की पंक्तियों को गौर से पढ़िए फिर सोचिए कि स्पष्ट रूप में गुरू नानक जी ने अल्लाह और मुहम्मद सल्ल0 का परिचय कराया है। और इस्लाम में प्रवेश करने के लिए यही एक शब्द बोलना पड़ता है कि मैं इस बात का वचन देता हूं कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं। औऱ मैं इस बात का वचन देता हूं कि मुहम्मद सल्ल0 अल्लाह के अन्तिम संदेष्टा और दूत हैं।
न इस्लाम में प्रवेश करने के लिए खतना कराने की आवशेकता है और न ही गोश्त खाने की जैसा कि कुछ लोगों में यह भ्रम पाया जाता है। यही बात गरू नानक जी ने कही है और मुहम्मद सल्ल0 को मानने की दावत दी है। परन्तु किन्हीं कारणवश खुल कर सामने न आ सके और दिल में पूरी श्रृद्धा होने के साथ मुहम्मद सल्ल0 के संदेष्टा होने को स्वीकार करते थे। 
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